द गर्ल इन रूम 105
मर ही जाता। सौरभ ने सड़क के कोने की ओर इशारा किया, जहां सेना के चार जवान खड़े थे और सभी आने- जाने वालों पर नजर रखे हुए थे। "यहां के लोग इंडियन आर्मी से ज्यादा नफरत करते हैं, मैंने कहा। उन्हें वे अपना दुश्मन मानते हैं। ज़ारा
मुझे इस सबके बारे में बताती थी। लेकिन बात केवल इतनी ही नहीं है।'
'अहसानफरामोश लोग हैं। अगर यहां पर हमारी आर्मी नहीं होती तो पाकिस्तान इस जगह को नर्क बना चुका होता
'बात इतनी सरल नहीं है। लोगों के मन में आर्मी को लेकर बहुत गुस्सा है। शायद हमें इन लोगों की को ध्यान से सुनना चाहिए। खैर, फलक कहा पर है?"
बातों हमने रेस्तरां के पास एक पान वाले को पता दिखाया। 'आप लोग सिकंदर से मिलना चाहते हैं? सिकंदर लोन से?" पान वाले ने पान के दो पत्तों पर चुना लगाते
हुए कहा। "हो। क्या वो जब भी यहीं रहता है?"
• आप लोगों को उससे क्या काम है?' पान वाले ने पान में मसाला डालते हुए कहा। "हम दिल्ली के उसके दोस्त हैं, मैंने कहा। सौरभ ने हैरत से मेरी ओर देखा। मैं मुस्कराता रहा।
"तब तो आप लोगों को पता होना चाहिए कि दो साल पहले तक वो और उसकी मां फरजाना यहीं रहते थे, लेकिन अब वो कभी-कभार ही यहां पर आता है।' 'आपको पता है अब वे लोग कहा रहते हैं?"
"सुना है फ़रज़ाना बेगम तो राज बाग़ चली गई हैं। अहदुस होटल के पास।'
"और सिकंदर "सिकंदर का कोई ठिकाना नहीं है। आज यहां तो कल कहीं और। आर्मी और पुलिस उसके पीछे लगे हुए हैं। आप लोगों को तो पता ही होना चाहिए। क्या वाक़ई आप लोग उसके दोस्त हैं?"
'हो।' तब तो मुझे आपको अपना स्पेशल पान बनाकर खिलाना चाहिए।
'अभी तक राज बाग़ के कितने दुकान वाले हो गए? मैंने कहा।
'पचास से ज़्यादा। हमारे दो दिन खराब हो गए।' सौरभ ने कहा।
शाम थी और हम अपनी हाउसबोट के कॉमन लाउंज में बैठे थे। हम इसे एक सरदार हनीमून कपल से शेयर कर रहे थे, जिनका प्यार कुछ ज्यादा ही उमड़ रहा था। उन्हें बीस क़दम चलकर अपने रूम में जाकर यह सब करने की फुरसत नहीं थी। सरदार अपनी दुल्हन से बोल रहा था कि वह उसे किस करते हुए एक सेल्फी ले और बैकग्राउंड में झील दिखाई देनी चाहिए। लड़की थोड़ा अनकम्फर्टेबल लग रही थी। वह अभी अपने प्रिंस चार्मिंग को समझ ही रही थी। शायद यह अरेंज्ड मैरिज थी. किसी मैट्रिमोनियल एप्प की मदद से करवाई गई। मैं उन्हें प्राइवेसी देने के लिए दूसरी तरफ देखने लगा।
"इसके अलावा हम और क्या कर सकते हैं?"
'केवल टीवी शॉप्स, सौरभ ने कहा।
"क्या?"
'अखबार बेचने वाले। ऐसे लोगों को इड़ते हैं, जो यहां के लोगों के लिए काम करते हो।"
'डॉक्टर्स और प्लंबर्स भीर'
"शायद कल से शुरू करते हैं।"
"थैंक यू, सौरभ में यह सब तुम्हारे बिना नहीं कर पाता।' "शट अप ये तुम बिना बात के सेंटी क्यों हो जाते हो? हम क्या हनीमून कपल्स हैं?"
मैं हंस दिया।
"बिना किसी कामयाबी के बस ढूंढ़ते रहना। तुम इससे थक नहीं गए? मैंने कहा
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